दिल कहुं न मिला जग ठगिया है।
गुरु सतरंग याद आतम सों ध्यान रंग मन रंगिया है।
शबद मुकाम कायापुर तकिया सुरत नाम बिच बगिया है।
उड़त जहूहर पूर पूरन दिल कर्म मर्म सब नसिया है।
जूड़ीराम महबूब नूर लख संत चरन निज उर धरिया है।
हिंदी कवि पर कविता, कहानी, ग़ज़ल - शायरी, गीत -लोकगीत, दोहे, भजन, हास्य - व्यंग्य और कुछ अन्य रचनाएं साहित्य के भंडार से
दिल कहुं न मिला जग ठगिया है।
गुरु सतरंग याद आतम सों ध्यान रंग मन रंगिया है।
शबद मुकाम कायापुर तकिया सुरत नाम बिच बगिया है।
उड़त जहूहर पूर पूरन दिल कर्म मर्म सब नसिया है।
जूड़ीराम महबूब नूर लख संत चरन निज उर धरिया है।
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