दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे भजन / Bhajan Darshan Do Ghanshyam Nath Mori Ankhiyan Pyasi Re Bhajan

 

दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे ॥

मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी ।
युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे ॥
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ॥

द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले ।
अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे ॥
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ॥

पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ ।
आँख मिचौली छोड़ो अब तो घट घट वासी रे ॥
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ॥

Laal Kavi ki Rachnaen pad

दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे भजन भजन / पद/ मिश्रित रचना आपको कैसी लगी ?

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित