बिना हर भक्त जक्त भयो बंधा।
जननी जनक बंध सुत दारा इन हित लाग फंदो बहु फंदा।
सरको जात सरन नहिं लीनो बिन विवेक आये गर बंधा।
बिना सतरंग संग नहिं दरसे जुग-जुग काल करे बंदा।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें भूलो फिरत मूड़वत मंदा।
हिंदी कवि पर कविता, कहानी, ग़ज़ल - शायरी, गीत -लोकगीत, दोहे, भजन, हास्य - व्यंग्य और कुछ अन्य रचनाएं साहित्य के भंडार से
बिना हर भक्त जक्त भयो बंधा।
जननी जनक बंध सुत दारा इन हित लाग फंदो बहु फंदा।
सरको जात सरन नहिं लीनो बिन विवेक आये गर बंधा।
बिना सतरंग संग नहिं दरसे जुग-जुग काल करे बंदा।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें भूलो फिरत मूड़वत मंदा।
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