भजता क्यूँ ना रे हरिन भजन भजन / Bhajan Bhajta Kyon Na Re Harin Bhajan Bhajan

 

भजता क्यूँ ना रे हरिनाम,तेरी कौड़ी लगे न छिदाम॥टेर॥

दाँत दिया है मुखड़ेकी शोभा, जीभ दई रट नाम॥१॥

नैणा दिया है दरशण करबा, कान दिया सुण ज्ञान॥२॥

पाँव दिया है तीरथ करबा, हाथ दिया कर दान॥३॥

शरीर दियो है उपकार करणने, हरि-चरणोंमें ध्यान ॥४॥

बन्दा! तेरी कौड़ी लगे न छदाम, रटता क्यों नहिं रे हरिनाम॥५॥

Laal Kavi ki Rachnaen pad

भजता क्यूँ ना रे हरिन भजन भजन / पद/ मिश्रित रचना आपको कैसी लगी ?

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