भजन बिना तन वृथा बहायो।
नाहक मार मरो माया की कोट जतन कर बहु विधि धायो।
जाकी गेह देह सम्पति सब के प्रभु को सपने नहिं गायो।
जालौ गेह-नेह को नातो मन धोकी की लाद लदायो।
जूड़ीराम चेत दिल देखो नाम विमुख नहि गति कोई पायो।
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