भज मन तुल्सीदासं भज मन तुलसीदासं बिन्दु जी भजन
Bhajan Bhaj Man TulsidasamBhaj Man Tulsidasam Bindu Ji Bhajan
भज मन तुल्सीदासं, भज मन तुलसीदासं।
यत्पद-जलजस्मरणं शुभ सुकृताभासं॥
भज मन तुल्सीदासं, भज मन तुलसीदासं।
सिय लक्ष्मण युत रघुपति जनं प्राणाधारं।
बसत सदा निशि वासर हृदयागारं॥
भज मन तुल्सीदासं, भज मन तुलसीदासं।
यस्यादर्श अनूपं दुःख दारिद दमनं।
कविकुल जीवनरूपं कलिमल ज्वर शमनं॥
भज मन तुल्सीदासं, भज मन तुलसीदासं।
यत्कृत सुखद सदैवं श्री हरिगुण ग्रामं।
श्रवणकरं हर गिरिजा कविवर बलधामं॥
भज मन तुल्सीदासं, भज मन तुलसीदासं।
सुंदर सरल सुवासिनी कविता गम्भीरं।
मन रंजन दृग अंजन भंजन भव भीरं॥
भज मन तुल्सीदासं, भज मन तुलसीदासं।
भाषा छंद रसामृत, जे नर कृत पानं।
ते वैराग्य विभूषणं रत हरि पद ध्यानं॥
भज मन तुल्सीदासं, भज मन तुलसीदासं।
द्वादश ग्रन्थ निरूपण प्रेम पथिक प्राणं।
अधम अधीन सहायक दायक निर्माणं॥
भज मन तुल्सीदासं, भज मन तुलसीदासं।
रामायण पद ललितं निर्मल नवगीतं।
रसना ‘बिन्दु’ निरंतर श्रवण कथा गीतं॥
भज मन तुल्सीदासं, भज मन तुलसीदासं।
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