अपने बिना सुपन में तूलो।
जिमि विभिचार प्रीति पर पति पर कियो सिंगार फिरत तन फूलो।
डंभ कपट पाखंड मंड मन काम क्रोध माया मद हूलो।
चार जुग्ग जुग रचत हिंडोरा कर्म धर्म को मारग झूलो।
जूड़ीराम शब्द बिन चीन्हें अपनी समझ अपन मैं भूलो।
हिंदी कवि पर कविता, कहानी, ग़ज़ल - शायरी, गीत -लोकगीत, दोहे, भजन, हास्य - व्यंग्य और कुछ अन्य रचनाएं साहित्य के भंडार से
अपने बिना सुपन में तूलो।
जिमि विभिचार प्रीति पर पति पर कियो सिंगार फिरत तन फूलो।
डंभ कपट पाखंड मंड मन काम क्रोध माया मद हूलो।
चार जुग्ग जुग रचत हिंडोरा कर्म धर्म को मारग झूलो।
जूड़ीराम शब्द बिन चीन्हें अपनी समझ अपन मैं भूलो।
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