ऐसे निज नाम की खबर जब आई।
नाशी जिकर फिकर तन की हम अधार दीदार जगाई।
भयो अडोल अकल अनभै की सकल सोच वृभ दूर बहाई।
बलहारी सतगुरु चरनन की जिन जो मारग दियो लखाई।
जूड़ीराम मगन भओ मनुआ राचों रंग प्रेमधुन छाई।
हिंदी कवि पर कविता, कहानी, ग़ज़ल - शायरी, गीत -लोकगीत, दोहे, भजन, हास्य - व्यंग्य और कुछ अन्य रचनाएं साहित्य के भंडार से
ऐसे निज नाम की खबर जब आई।
नाशी जिकर फिकर तन की हम अधार दीदार जगाई।
भयो अडोल अकल अनभै की सकल सोच वृभ दूर बहाई।
बलहारी सतगुरु चरनन की जिन जो मारग दियो लखाई।
जूड़ीराम मगन भओ मनुआ राचों रंग प्रेमधुन छाई।
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