अधमों के नाथ उबारना तुम्हें याद हो कि न याद हो बिन्दु जी भजन

 Adhamon KeNath Ubarna Tumhein Yaad Ho Ki Na Yaad Ho Bindu Ji Bhajan  

अधमों के नाथ उबारना तुम्हें याद हो कि न याद हो।
मद खल जनों का उतारना तुम्हें याद हो कि न याद हो॥
प्रह्लाद जब मरने लगा, खंजर पै सिर धरने लगा।
उस दिन का खंम्भ बिदारना तुम्हें याद हो कि न याद हो॥
धृतराष्ट्र के दरबार में दुखी द्रौपदी की पुकार में।
साड़ी के थान संवारना तुम्हें याद हो कि न याद हो।
सुरराज ने जो किया प्रलय, ब्रजधाम बसने के समय।
गिरवर नखों पर धारना तुम्हें याद हो कि न याद हो॥
हम ‘बिन्दु’ जिनके निराश हो, केवल तुम्हारी आस हो।
उनकी दशाएँ सुधारना तुम्हें याद हो कि न याद हो॥ 

Comments

Popular Posts

Ahmed Faraz Ghazal / अहमद फ़राज़ ग़ज़लें

अल्लामा इक़बाल ग़ज़ल /Allama Iqbal Ghazal

Ameer Minai Ghazal / अमीर मीनाई ग़ज़लें

मंगलेश डबराल की लोकप्रिय कविताएं Popular Poems of Manglesh Dabral

Ye Naina Ye Kajal / ये नैना, ये काजल, ये ज़ुल्फ़ें, ये आँचल

Akbar Allahabadi Ghazal / अकबर इलाहाबादी ग़ज़लें

Sant Surdas ji Bhajan lyrics संत श्री सूरदास जी के भजन लिरिक्स

Adil Mansuri Ghazal / आदिल मंसूरी ग़ज़लें

बुन्देली गारी गीत लोकगीत लिरिक्स Bundeli Gali Geet Lokgeet Lyrics

Mira Bai Ke Pad Arth Vyakhya मीराबाई के पद अर्थ सहित