अद्भुत एक अनुपम बाग सूरदास भजन / भजन Adbhut Ek Anupam Bag Surdas Bhajan / Bhajan

 

अद्भुत एक अनुपम बाग ॥ध्रु०॥
जुगल कमलपर गजवर क्रीडत तापर सिंह करत अनुराग ॥१॥
हरिपर सरवर गिरीवर गिरपर फुले कुंज पराग ॥२॥
रुचित कपोर बसत ताउपर अमृत फल ढाल ॥३॥
फलवर पुहूप पुहुपपर पलव तापर सुक पिक मृगमद काग ॥४॥
खंजन धनुक चंद्रमा राजत ताउपर एक मनीधर नाग ॥५॥
अंग अंग प्रती वोरे वोरे छबि उपमा ताको करत न त्याग ॥६॥
सूरदास प्रभु पिवहूं सुधारस मानो अधरनिके बड भाग ॥७॥

Laal Kavi ki Rachnaen pad

अद्भुत एक अनुपम बाग सूरदास भजन / पद/ मिश्रित रचना आपको कैसी लगी ?

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