Ab To Govind Gun Ga Le Bindu JiBhajan
अब तो गोविन्द गुण गा ले।
सब कुछ भोग लिए जग के सुख सब अरमान निकाले।
जितने पाप हुए जीवन में लेखा कौन सम्भाले?
उनका एक उपाय यही है जी भर कर पछता ले।
रंग-बिरंगे फल जगत के जितने देखे भाले।
कच्चा रंग सभी का छूता सभी पड़ गए काले,
‘बिन्दु’ बिन्दु पापों से तूने घट के घट भर डाले।
उन्हें बहा दे जल्द बनाकर आँसू के परनाले॥
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