अब लौ गई लुगाई आई।
बिसरो भजन रहस रंग राचो सुक सपने में रहो भुलाई।
भूलो मर्म कर्म उर पेरत सरुष बदन तन तेज भगाई।
जाके हृदय भगत महारानी दिन-दिन बाढ़त बुद्धि सवाई।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें ऐसो तन बेकाम बहाई।
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