लगन लिखते समय का गीत
बनी रा दादासा मोटा राजमी, बनी रो लगन लिखाय।
जेठ घुड़ला जी सुसरा पालकी, देवर खुरी हरलाय,
सासू जी रो डेरो आवे ढलकती, पाड़ोसन मंगल गाय,
राईबर तो घुड़ला चढ़ला, ज्यां पर चंवर ढुलाय।
बनी रा दादासा मोटा राजमी, बाई रो लगन लिखाय,
घुड़ला चढया है असवार जी, वर ढुंढण चाल्या,
देख्या-देख्या महल र माल जी देखी चतुराई, देख्यो मारा बन्ना सा रो रूप जी,
वे तो फोटू खिचाई।
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