कजली बन में असल चालाक, हाथी दांत जी,
ल्याओ ने कसाब जी का छावा चुड़लो। जयपुर रो हीरा भरियो चुड़लो।
थे ल्याओ चन्द्रमा जी रंग भर लाख रो चुड़लो।
तो पहनो पहनो म्हारी मरवण नार जी, मनिहारी पहरावै रंग भर चुड़लो।
खेलो तो सार चौपड़ जी रंग भर चुड़लो। मन मोजीड़ा निरखण रंग भर चुड़लो।
कहवो तो ढोला म्हारा फुलड़ा मेंहदी सेजी जी,
कांई बांकड़ली मूंछ्या जी रंग भर चुड़लो।
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