साठ्या तो चावल हलद पीला जा म्हारा भंवरां नूतणा।
गांव न जाणू बाई नाम न जाणू किण घर जाऊं ये बाई नूतबा।
बोतो गांव रणतभंवर नाम बिनायकजी जा घर जाइरे भवरां नूतबा।
बेतो हंस हंस बाई हे नूतो झेल्यो मुलकत दीना म्हाने बेसणा।
बे तो गांव… नाम… जी ज्या घर जाई रे भंवरां नूतबा।
बेतो किण विध रे भंवरा नूतो झेल्यो किण विध घाल्या बेसाणा।
बेतो हंस हंस बाई हे नूतो झेल्यो मुलकत घाल्या बेसणा।
नोट- सभी संबंधियों के नाम लें।
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