कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी
आवनकी मनभावन की।
आप न आवै लिख नहिं भेजै
बाण पड़ी ललचावनकी।
ए दो नैण कह्यो नहिं मानै
नदियां बहै जैसे सावन की।
कहा करूं कछु नहिं बस मेरो
पांख नहीं उड़ जावनकी।
मीरा कहै प्रभु कब रे मिलोगे
चेरी भै हूं तेरे दांवनकी।
हिंदी कवि पर कविता, कहानी, ग़ज़ल - शायरी, गीत -लोकगीत, दोहे, भजन, हास्य - व्यंग्य और कुछ अन्य रचनाएं साहित्य के भंडार से
कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी
आवनकी मनभावन की।
आप न आवै लिख नहिं भेजै
बाण पड़ी ललचावनकी।
ए दो नैण कह्यो नहिं मानै
नदियां बहै जैसे सावन की।
कहा करूं कछु नहिं बस मेरो
पांख नहीं उड़ जावनकी।
मीरा कहै प्रभु कब रे मिलोगे
चेरी भै हूं तेरे दांवनकी।
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