राग: गौरी
तौलगि जिनि मारै तूँ मोहिं।
जौलगि मैं देखौं नहिं तोहिं॥टेक॥
इबके बिछुरे मिलन कैसे होइ।
इहि बिधि बहुरि न चीन्है कोइ॥१॥
दीनदयाल दया करि जोइ।
सब सुख-आनँद तुम सूँ होइ॥२॥
जनम-जनमके बंधन खोइ।
देखण दादू अहि निशि रोइ॥३॥
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